۵ آذر ۱۴۰۳ |۲۳ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 25, 2024
इक़्रा कल्चर सेंटर

हौज़ा / अहंकारी सरकार और अभिमानी शक्तियों के मजदूरों और गुलामों अर्थात् आले सऊद ने इस्लामे नाबे मुहम्मदी के सच्चे अनुयायियों में से 41 को बेरहमी से मार डाला और साबित कर दिया कि आले अबु सुफियान के गंदे और नाजायज बच्चे अभी भी जीवित हैं। आले सऊद पर धिक्कार।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इक़्रा कल्चरल सेंटर की केद्रींय शाखा क़ुम ने एक बयान में सऊदी अधिकारियों द्वारा 41 निर्दोष शिया मुसलमानों सहित 81 कैदियों की गर्दन मारने की कड़ी निंदा की। इस बयान का पूरा पाठ इस प्रकार है;

बेइस्मे रब्बिश्शोहदा
बिअय्यो ज़मबिन क़ुतिलत

शाबान के महीने की महानता, आशीर्वाद और महिमा किसी से छिपी नहीं है, इस महान महीने में जहा विश्व के मुसलान अल्लाह की इबादत और रियाज़त के लिए अधिक तैयार हो रहे है कि रमजान के पवित्र महीने मे आध्यात्मिक गुणो से परि पूर्ण अल्लाह के मेहमान बन सकें, लेकिन अफसोस इस महान महीने मे इस्लाम के तथाकथित नाजायज अनुयायी, जिनका इस्लाम और कुरान से कोई लेना-देना नहीं है, उन्होने पेशावर की एक मस्जिद में इस्लाम के असली अनुयायियों को निशाना बनाया, जिसमें दर्जनों लोगो को शहीद किया।

खून के ये आंसू भी नहीं सूख सके जब अहंकारी सरकार और अभिमानी शक्तियों के मजदूरों और गुलामों अर्थात् आले सऊद ने इस्लामे नाबे मुहम्मदी के सच्चे अनुयायियों में से 41 को बेरहमी से मार डाला और साबित कर दिया कि आले अबु सुफियान के गंदे और नाजायज बच्चे अभी भी जीवित हैं। आले सऊद पर धिक्कार।

अल्लाह से दुआ है कि शोहदा ए पेशावर, पाकिस्तान और शोहदा ए कतीफ सऊदी अरब को उच्च स्थान प्रदान करे और अत्याचारीयो और उनके समर्थकों को नरक में भेजे।

हम इक़्रा कल्चर सेंटर के सदस्य उनके दुख और क्रोध को व्यक्त करते हुए, पेशावर और कातिफ के शोक संतप्त लोगों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं और इस दुखद घटना पर उनकी सेवा में अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं, खासकर शहीदों के परिवारों के लिए। अल्लाह उन्हें धैर्य और इनाम प्रदान करें।

वहीं, ईरान की इस्लामी क्रांति के नेता हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली खामेनई दामत बराकातोहू और शिया दुनिया के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह सैय्यद अली सिस्तानी दामत बराकातोहू और अन्य महान विद्वान और अधिकारीयो की सेवा मे संवेदना व्यक्त करते हैं।


जब ज़ुल्म गुज़रता है हद से तो कुदरत को जलाल आता है फिरऔन का सर जब उठता है मूसा कोई पैदा होता है

वस्सलाम

इक़्रा कल्चरल सेंटर, क़ुम ईरान के सदस्य

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